श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम की आज्ञा के अनुसार शत्रुघ्न का सेना को आगे भेजकर एक मास के पश्चात् स्वयं भी प्रस्थान करना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  7.64.9 
 
 
न तस्य मृत्युरन्योऽस्ति कश्चिद्धि पुरुषर्षभ।
दर्शनं योऽभिगच्छेत स वध्यो लवणेन हि॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘पुरुषोत्तम! मैंने जो बताया है, उसके सिवा उसकी मृत्युका दूसरा कोई उपाय नहीं है; क्योंकि जो भी शूलसहित लवणासुरके दृष्टिपथमें आ जाता है, वह अवश्य उसके द्वारा मारा जाता है॥ ९॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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