न तस्य मृत्युरन्योऽस्ति कश्चिद्धि पुरुषर्षभ।
दर्शनं योऽभिगच्छेत स वध्यो लवणेन हि॥ ९॥
अनुवाद
‘पुरुषोत्तम! मैंने जो बताया है, उसके सिवा उसकी मृत्युका दूसरा कोई उपाय नहीं है; क्योंकि जो भी शूलसहित लवणासुरके दृष्टिपथमें आ जाता है, वह अवश्य उसके द्वारा मारा जाता है॥ ९॥