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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 64: श्रीराम की आज्ञा के अनुसार शत्रुघ्न का सेना को आगे भेजकर एक मास के पश्चात् स्वयं भी प्रस्थान करना
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श्लोक 7-8
श्लोक
7.64.7-8
अतो हृष्टजनाकीर्णां प्रस्थाप्य महतीं चमूम्।
एक एव धनुष्पाणिर्गच्छ त्वं मधुनो वनम्॥ ७॥
यथा त्वां न प्रजानाति गच्छन्तं युद्धकाङ्क्षिणम्।
लवणस्तु मधो: पुत्रस्तथा गच्छेरशङ्कितम्॥ ८॥
अनुवाद
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इसलिये सैन्य को आगे भेजकर तू स्वयं धनुष हाथ में लेकर मधुवन में इस प्रकार से चला जा, जिससे मधुपुत्र लवण को तुम्हारे आक्रमण का संदेह न हो और वह निश्चिंत रहे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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