बलं च सुभृतं वीर हृष्टतुष्टमनुद्धतम्।
सम्भाषासम्प्रदानेन रञ्जयस्व नरोत्तम॥ ५॥
अनुवाद
बल को भलीभाँति पोषित किया गया है। यह हर्षित और उत्साहित है, संतुष्ट है और उद्दंडता से रहित है, और आज्ञाओं का पालन करता है। राजाओं में श्रेष्ठ! इसे मीठे शब्दों और धन देकर प्रसन्न रखो।