श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम की आज्ञा के अनुसार शत्रुघ्न का सेना को आगे भेजकर एक मास के पश्चात् स्वयं भी प्रस्थान करना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  7.64.18 
 
 
प्रस्थाप्य सेनामथ सोऽग्रतस्तदा
गजेन्द्रवाजिप्रवरौघसंकुलाम्।
उवास मासं तु नरेन्द्रपार्श्वत-
स्त्वथ प्रयातो रघुवंशवर्धन:॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  गजेन्द्र और श्रेष्ठ अश्वों के समुदाय से भरी हुई विशाल सेना को आगे भेजकर रघुवंश के वृद्धि करने वाले शत्रुघ्न एक मास तक महाराज श्रीराम के पास ही रहे। उसके बाद उन्होंने वहाँ से प्रस्थान किया।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डे चतु:षष्टितम: सर्ग: ॥ ६ ४॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें चौंसठवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ६ ४॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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