वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 7: उत्तर काण्ड
»
सर्ग 64: श्रीराम की आज्ञा के अनुसार शत्रुघ्न का सेना को आगे भेजकर एक मास के पश्चात् स्वयं भी प्रस्थान करना
»
श्लोक 15
श्लोक
7.64.15
तथा तांस्तु समाज्ञाप्य प्रस्थाप्य च महद्बलम्।
कौसल्यां च सुमित्रां च कैकेयीं चाभ्यवादयत्॥ १५॥
अनुवाद
play_arrowpause
इस प्रकार विशाल सेना को आगे बढ़ाकर उन्हें आदेश देते हुए शत्रुघ्न ने कौसल्या, सुमित्रा और कैकेयी को प्रणाम किया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.