श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम की आज्ञा के अनुसार शत्रुघ्न का सेना को आगे भेजकर एक मास के पश्चात् स्वयं भी प्रस्थान करना  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  7.64.14 
 
 
एते वो गणिता वासा यत्र तत्र निवत्स्यथ।
स्थातव्यं चाविरोधेन यथा बाधा न कस्यचित्॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  देखो, हमने यात्रा में जहाँ-जहाँ विश्राम करना है, उन पड़ावों को पहले से ही तय कर लिया है। तुम्हें वहीं-वहीं रुकना होगा। जहाँ भी ठहरो, अपने मन से विरोध की भावना को निकाल दो, जिससे किसी को भी कोई कष्ट न पहुँचे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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