श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम की आज्ञा के अनुसार शत्रुघ्न का सेना को आगे भेजकर एक मास के पश्चात् स्वयं भी प्रस्थान करना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  7.64.11 
 
 
महर्षींस्तु पुरस्कृत्य प्रयान्तु तव सैनिका:।
यथा ग्रीष्मावशेषेण तरेयुर्जाह्नवीजलम्॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम्हारे सैनिकों को महर्षियों को आगे रखकर इसलिए यात्रा करनी चाहिए जिससे गर्मी बीतते-बीतते वे गङ्गाजी को पार कर सकें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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