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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 64: श्रीराम की आज्ञा के अनुसार शत्रुघ्न का सेना को आगे भेजकर एक मास के पश्चात् स्वयं भी प्रस्थान करना
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श्लोक 1
श्लोक
7.64.1
एवमुक्त्वा च काकुत्स्थं प्रशस्य च पुन: पुन:।
पुनरेवापरं वाक्यमुवाच रघुनन्दन:॥ १॥
अनुवाद
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शत्रुघ्न को इस प्रकार से समझाकर और उनकी बार-बार प्रशंसा करके रघुकुल के नंदन श्रीराम ने फिर से यह बात कही।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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