श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 61: ऋषियों का मधु को प्राप्त हुए वर तथा लवणासुर के बल और अत्याचार का वर्णन करके उससे प्राप्त होनेवाले भय को दूर करने के लिये श्रीरघुनाथजी से प्रार्थना करना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  7.61.23 
 
 
ते वयं रावणं श्रुत्वा हतं सबलवाहनम्।
त्रातारं विद्महे तात नान्यं भुवि नराधिपम्।
तत् परित्रातुमिच्छामो लवणाद् भयपीडितान्॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  ताताजी, हमने सुना है कि आपने रावण को उसकी सेना और सवारियों सहित मार डाला है। इसलिए, हम मानते हैं कि आप ही हमारी रक्षा करने में सक्षम हैं, पृथ्वी पर कोई अन्य राजा नहीं। इसलिए, हम चाहते हैं कि आप भयभीत महर्षियों की लवणासुर से रक्षा करें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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