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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 61: ऋषियों का मधु को प्राप्त हुए वर तथा लवणासुर के बल और अत्याचार का वर्णन करके उससे प्राप्त होनेवाले भय को दूर करने के लिये श्रीरघुनाथजी से प्रार्थना करना
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श्लोक 16
श्लोक
7.61.16
तस्य पत्नी महाभागा प्रिया कुम्भीनसीति या।
विश्वावसोरपत्यं साप्यनलायां महाप्रभा॥ १६॥
अनुवाद
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तथा उनकी प्रिय पत्नी महाभागा कुम्भीनसी थीं। कुम्भीनसी महाप्रभा विश्वावसु की संतान थीं। उनका जन्म देवी अनला के गर्भ से हुआ था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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