श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 60: श्रीराम के दरबार में च्यवन आदि ऋषियों का शुभागमन, श्रीराम के द्वारा उनका सत्कार करके उनके अभीष्ट कार्य को पूर्ण करने की प्रतिज्ञा तथा ऋषियों द्वारा उनकी प्रशंसा  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  7.60.14 
 
 
इदं राज्यं च सकलं जीवितं च हृदि स्थितम्।
सर्वमेतद् द्विजार्थं मे सत्यमेतद् ब्रवीमि व:॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  यह सारा राज्य, मेरे हृदय रूपी कमल में विराजमान यह जीवात्मा और समस्त वैभव का एकमात्र उद्देश्य ब्राह्मणों की सेवा ही है। मैं तुम्हारे सामने यह सच्ची बात कहता हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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