श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 60: श्रीराम के दरबार में च्यवन आदि ऋषियों का शुभागमन, श्रीराम के द्वारा उनका सत्कार करके उनके अभीष्ट कार्य को पूर्ण करने की प्रतिज्ञा तथा ऋषियों द्वारा उनकी प्रशंसा  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  7.60.13 
 
 
किमागमनकार्यं व: किं करोमि समाहित:।
आज्ञाप्योऽहं महर्षीणां सर्वकामकर: सुखम्॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  महर्षियो! आपका इस स्थान पर आगमन किस कारण से हुआ है? मैं आपकी किस प्रकार सेवा कर सकता हूँ? मैं आपकी आज्ञा का पालन करने हेतु सदा तत्पर हूँ। यदि आप मेरी आज्ञा दें तो मैं बड़ी सरलता से आपकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकता हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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