तयो: संवदतोरेवं रामलक्ष्मणयोस्तदा।
वासन्तिकी निशा प्राप्ता न शीता न च घर्मदा॥ १॥
अनुवाद
तब श्रीराम और लक्ष्मण परस्पर इस तरह कथावार्ता करते हुए प्रतिदिन प्रजापालन के कार्य में लगे रहते थे। एक समय बसंत ऋतु की रात आई, जो न अधिक सर्दी लाने वाली थी और न गर्मी।