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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 59: ययाति का अपने पुत्र पूरु को अपना बुढ़ापा देकर बदले में उसका यौवन लेना और भोगों से तृप्त होकर पुनः दीर्घकाल के बाद उसे उसका यौवन लौटा देना, पूरु का अपने पिता की गद्दी पर अभिषेक तथा यदु को शाप
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श्लोक 19
श्लोक
7.59.19
पूरुश्चकार तद् राज्यं धर्मेण महता वृत:।
प्रतिष्ठाने पुरवरे काशिराज्ये महायशा:॥ १९॥
अनुवाद
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पूरु ने महान धर्म का पालन करते हुए काशीराज की प्रसिद्ध राजधानी प्रतिष्ठानपुर में राज्य किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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