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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 58: ययाति को शुक्राचार्य का शाप
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श्लोक 8
श्लोक
7.58.8
एका तु तस्य राजर्षेर्नाहुषस्य पुरस्कृता।
शर्मिष्ठा नाम दैतेयी दुहिता वृषपर्वण:॥ ८॥
अनुवाद
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शर्मिष्ठा नहुष नन्दन राजर्षि ययाति की एक पत्नी थीं, जिन्हें राजा ने बहुत सम्मान दिया था। वह दैत्यकुल की कन्या थीं और वृषपर्वा की पुत्री थीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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