न सर्वत्र क्षमा वीर पुरुषेषु प्रदृश्यते॥ ५॥
सौमित्रे दु:सहो रोषो यथा क्षान्तो ययातिना।
सत्त्वानुगं पुरस्कृत्य तन्निबोध समाहित:॥ ६॥
अनुवाद
वीर सुमित्रा कुमार! सभी पुरुषों में वह क्षमा-शीलता नहीं होती जो राजा ययाति ने दिखाई थी। राजा ययाति सत्त्वगुण के अनुकूल मार्ग का पालन करते हुए दुःसह रोष को क्षमा कर दिया था। वह प्रसंग बताता हूं। एकाग्रचित्त होकर सुनो।