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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 13
श्लोक
7.58.13
आवां च सहितौ देवि प्रविशाव हुताशनम्।
राजा तु रमतां सार्धं दैत्यपुत्र्या बहुक्षपा:॥ १३॥
अनुवाद
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अतः देवि! हम दोनों ही मिलकर अग्नि में प्रवेश कर जाएँ। राजा दैत्य पुत्री शर्मिष्ठा के साथ लंबे समय तक सुख भोगें।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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