श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 58: ययाति को शुक्राचार्य का शाप  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  7.58.12 
 
 
भार्गवस्य कुले जाता देवस्याक्लिष्टकर्मण:।
सहसे हृद‍्गतं दु:खमवमानं च दु:सहम्॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  माँ! तुमने भले ही महान कर्म करने वाले देवस्वरूप शुक्राचार्य के कुल में जन्म लिया है, परंतु यहाँ तुम्हें बहुत दुख सहना पड़ रहा है। तुम्हें अपमान भी सहना पड़ रहा है, जो तुम्हारे लिए बहुत कष्टदायक है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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