श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 56: ब्रह्माजी के कहने से वसिष्ठ का वरुण के वीर्य में आवेश, वरुण का उर्वशी के समीप एक कुम्भ में अपने वीर्य का आधान तथा मित्र के शाप से उर्वशी का भूतल में राजा पुरुरवा के पास रहकर पुत्र उत्पन्न करना  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  7.56.3 
 
 
लक्ष्मणेनैवमुक्तस्तु राम इक्ष्वाकुनन्दन:।
प्रत्युवाच महातेजा लक्ष्मणं पुरुषर्षभ:॥ ३॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण के इस प्रकार प्रश्न करने पर इक्ष्वाकुकुल के नन्दन, महातेजस्वी और श्रेष्ठ पुरुष श्रीराम ने इस प्रकार उनसे कहा-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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