वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 7: उत्तर काण्ड
»
सर्ग 56: ब्रह्माजी के कहने से वसिष्ठ का वरुण के वीर्य में आवेश, वरुण का उर्वशी के समीप एक कुम्भ में अपने वीर्य का आधान तथा मित्र के शाप से उर्वशी का भूतल में राजा पुरुरवा के पास रहकर पुत्र उत्पन्न करना
»
श्लोक 3
श्लोक
7.56.3
लक्ष्मणेनैवमुक्तस्तु राम इक्ष्वाकुनन्दन:।
प्रत्युवाच महातेजा लक्ष्मणं पुरुषर्षभ:॥ ३॥
अनुवाद
play_arrowpause
लक्ष्मण के इस प्रकार प्रश्न करने पर इक्ष्वाकुकुल के नन्दन, महातेजस्वी और श्रेष्ठ पुरुष श्रीराम ने इस प्रकार उनसे कहा-।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.