श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 55: राजा निमि और वसिष्ठ का एक-दूसरे के शाप से देहत्याग  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  7.55.3 
 
 
लक्ष्मणेनैवमुक्तस्तु राम इक्ष्वाकुनन्दन:।
कथां परमधर्मिष्ठां व्याहर्तुमुपचक्रमे॥ ३॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण के ऐसा कहने पर इक्ष्वाकुवंश के आनंद श्रीराम जी ने उत्तम धर्म से युक्त कथा सुनाना आरम्भ किया—।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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