तत: संवदतोरेवं सूतलक्ष्मणयो: पथि।
अस्तमर्के गते वासं केशिन्यां तावथोषतु:॥ ३०॥
अनुवाद
सूर्य अस्त होने को थे और सुमन्त्र और लक्ष्मण मार्ग में वार्तालाप कर रहे थे। अंततः उन्होंने केशिनी नदी के तट पर रात्रि विश्राम किया।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डे एकपञ्चाश: सर्ग: ॥ ५ १॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें इक्यावनवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ५ १॥