श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 51: मार्ग में सुमन्त्र का दुर्वासा के मुख से सुनी हुर्इ भृगुऋषि के शाप की कथा कहकर तथा भविष्य में होनेवाली कुछ बातें बताकर दुःखी लक्ष्मण को शान्त करना  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  7.51.24 
 
 
स सर्वमखिलं राज्ञो वंशस्याह गतागतम्।
आख्याय सुमहातेजास्तूष्णीमासीन्महामुनि:॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  अन्यत्र न त्वयोध्यायाम् अर्थात् हे भरत! तुमसे अलग तुम्हारी अयोध्यापुरी में धर्म का लोप नहीं होने जा रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है। श्री रामचन्द्र जी सीता जी से उत्पन्न होने वाले अपने पुत्रों का राज्याभिषेक करेंगे॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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