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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 51: मार्ग में सुमन्त्र का दुर्वासा के मुख से सुनी हुर्इ भृगुऋषि के शाप की कथा कहकर तथा भविष्य में होनेवाली कुछ बातें बताकर दुःखी लक्ष्मण को शान्त करना
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श्लोक 22-23
श्लोक
7.51.22-23
समृद्धैश्चाश्वमेधैश्च इष्ट्वा परमदुर्जय:॥ २२॥
राजवंशांश्च बहुशो बहून् संस्थापयिष्यति।
द्वौ पुत्रौ तु भविष्येते सीतायां राघवस्य तु॥ २३॥
अनुवाद
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समृद्ध अश्वमेध यज्ञों को करके परम दुर्जय वीर श्रीराम बहुत से राजवंशों की स्थापना करेंगे। श्रीरघुनाथजी को सीता के गर्भ से दो पुत्र प्राप्त होंगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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