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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 51: मार्ग में सुमन्त्र का दुर्वासा के मुख से सुनी हुर्इ भृगुऋषि के शाप की कथा कहकर तथा भविष्य में होनेवाली कुछ बातें बताकर दुःखी लक्ष्मण को शान्त करना
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श्लोक 20
श्लोक
7.51.20
तत् फलं प्राप्स्यते चापि भृगुशापकृतं महत्।
अयोध्याया: पती रामो दीर्घकालं भविष्यति॥ २०॥
अनुवाद
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भृगु ऋषि के शाप के कारण राम और सीता का वियोग हुआ, जो एक महान फल है। श्रीराम अयोध्या के राजा के रूप में लंबे समय तक शासन करेंगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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