सुमित्रानन्दन लक्ष्मण ने सुमन्त्र के गम्भीर और सारगर्भित भाषण को सुनकर कहा—‘सुमन्त्र जी, जो सत्य बात हो, उसे आप अवश्य बोलिए’॥ २०॥
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डे पञ्चाश: सर्ग: ॥ ५ ०॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें पचासवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ५ ०॥