श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 50: लक्ष्मण और सुमन्त्र की बातचीत  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  7.50.13 
 
 
इदं त्वयि न वक्तव्यं सौमित्रे भरतेऽपि वा।
राज्ञा वो व्याहृतं वाक्यं दुर्वासा यदुवाच ह॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  दुर्वासा ने जो बात महाराज दशरथ को कही थी, उन्हें राजा दशरथ ने तुमसे (लक्ष्मण), शत्रुघ्न और भरत से भी कहने से मना किया था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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