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श्लोक 13
श्लोक
7.50.13
इदं त्वयि न वक्तव्यं सौमित्रे भरतेऽपि वा।
राज्ञा वो व्याहृतं वाक्यं दुर्वासा यदुवाच ह॥ १३॥
अनुवाद
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दुर्वासा ने जो बात महाराज दशरथ को कही थी, उन्हें राजा दशरथ ने तुमसे (लक्ष्मण), शत्रुघ्न और भरत से भी कहने से मना किया था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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