श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 5: सुकेश के पुत्र माल्यवान्, सुमाली और माली की संतानों का वर्णन  »  श्लोक 40-42
 
 
श्लोक  7.5.40-42 
 
 
प्रहस्तोऽकम्पनश्चैव विकट: कालिकामुख:।
धूम्राक्षश्चैव दण्डश्च सुपार्श्वश्च महाबल:॥ ४०॥
संह्रादि: प्रघसश्चैव भासकर्णश्च राक्षस:।
राका पुष्पोत्कटा चैव कैकसी च शुचिस्मिता:॥ ४१॥
कुम्भीनसी च इत्येते सुमाले: प्रसवा: स्मृता:॥ ४२॥
 
 
अनुवाद
 
  सामान्यतः यह माना जाता है कि सुमाली के पुत्र प्रहस्त, अकम्पन, विकट, कालिकामुख, धूम्राक्ष, दण्ड, महाबली सुपार्श्व, संह्रादि, प्रघस और राक्षस भासकर्ण हैं। उनकी चार पुत्रियाँ थीं, राका, पुष्पोत्कटा, कैकसी और कुम्भीनसी। इन सभी को सुमाली की संतान माना जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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