इस प्रकार महान यशस्वी और महातपस्वी महर्षि वाल्मीकि बार-बार सीता जी को मुनि पत्नियों के हाथों सौंपकर अपने आश्रम को पुनः लौट गए। वे अपने शिष्यों के साथ थे।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डे एकोनपञ्चाश: सर्ग: ॥ ४ ९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें उनचासवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ४ ९॥