श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 49: मुनि कुमारोंसे समाचार पाकर वाल्मीकि का सीता के पास आ उन्हें सान्त्वना देना और आश्रम में लिवा ले जाना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  7.49.23 
 
 
मुहुर्मुहुश्च वैदेहीं परिदाय महायशा:।
स्वमाश्रमं शिष्यवृत: पुनरायान्महातपा:॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार महान यशस्वी और महातपस्वी महर्षि वाल्मीकि बार-बार सीता जी को मुनि पत्नियों के हाथों सौंपकर अपने आश्रम को पुनः लौट गए। वे अपने शिष्यों के साथ थे।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डे एकोनपञ्चाश: सर्ग: ॥ ४ ९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें उनचासवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ४ ९॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.