श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 49: मुनि कुमारोंसे समाचार पाकर वाल्मीकि का सीता के पास आ उन्हें सान्त्वना देना और आश्रम में लिवा ले जाना  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  7.49.21 
 
 
स्नुषा दशरथस्यैषा जनकस्य सुता सती।
अपापा पतिना त्यक्ता परिपाल्या मया सदा॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  सीता दशरथ की पुत्रवधू हैं और राजा जनक की पुत्री हैं। सीता सती हैं, अर्थात् पतिव्रता हैं, लेकिन फिर भी उनके पति राम ने उन्हें छोड़ दिया है। इसलिए अब यह मेरा कर्तव्य है कि मैं सीता का हमेशा पालन-पोषण करूँ और उनकी रक्षा करूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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