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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 49: मुनि कुमारोंसे समाचार पाकर वाल्मीकि का सीता के पास आ उन्हें सान्त्वना देना और आश्रम में लिवा ले जाना
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श्लोक 18
श्लोक
7.49.18
तं प्रयान्तं मुनिं सीता प्राञ्जलि: पृष्ठतोऽन्वगात्।
तं दृष्ट्वा मुनिमायान्तं वैदेह्या मुनिपत्नय:।
उपाजग्मुर्मुदा युक्ता वचनं चेदमब्रुवन्॥ १८॥
अनुवाद
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तब तपस्वी आगे-आगे चल रहे थे और सीता हाथ जोड़े उनके पीछे-पीछे चलीं। वैदेही के साथ महाऋषि को आते देख मुनि पत्नियाँ उनके पास आईं और बड़ी प्रसन्नता के साथ इस प्रकार बोलीं -।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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