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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 49: मुनि कुमारोंसे समाचार पाकर वाल्मीकि का सीता के पास आ उन्हें सान्त्वना देना और आश्रम में लिवा ले जाना
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श्लोक 15
श्लोक
7.49.15
आश्रमस्याविदूरे मे तापस्यस्तपसि स्थिता:।
तास्त्वां वत्से यथा वत्सं पालयिष्यन्ति नित्यश:॥ १५॥
अनुवाद
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बेटी, मेरे आश्रम से दूर नहीं, कुछ तपस्विनी स्त्रियाँ रहती हैं, जो तपस्या में लीन हैं। वे तुम्हें अपने बच्चे के जैसा प्यार करेंगी और हमेशा तुम्हारा पालन करेंगी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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