श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 46: लक्ष्मण का सीता को रथ पर बिठाकर उन्हें वन में छोड़ने के लिये ले जाना और गङ्गाजी के तट पर पहुँचना  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  7.46.29 
 
 
तारयस्व च मां गङ्गां दर्शयस्व च तापसान्।
ततो मुनिभ्यो वासांसि दास्याम्याभरणानि च॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम्हें मुझको गंगा के पार पहुँचाना है और वहाँ तपस्या कर रहे ऋषि-मुनियों से भेंट कराना है। मैं उन्हें कपड़े और आभूषण दूँगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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