वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 7: उत्तर काण्ड
»
सर्ग 46: लक्ष्मण का सीता को रथ पर बिठाकर उन्हें वन में छोड़ने के लिये ले जाना और गङ्गाजी के तट पर पहुँचना
»
श्लोक 27
श्लोक
7.46.27
नित्यं त्वं रामपार्श्वेषु वर्तसे पुरुषर्षभ।
कच्चिद् विनाकृतस्तेन द्विरात्रं शोकमागत:॥ २७॥
अनुवाद
play_arrowpause
पुरुष श्रेष्ठ! तुम तो हमेशा श्री राम के साथ रहते हो। क्या उनसे दो दिन के लिए अलग होने के कारण तुम इतने शोकाकुल हो गये हो?
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.