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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 45: श्रीराम का भाइयों के समक्ष सर्वत्र फैले हुए लोकापवाद की चर्चा करके सीता को वन में छोड़ आने के लिये लक्ष्मण को आदेश देना
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श्लोक 5
श्लोक
7.45.5
जानासि त्वं यथा सौम्य दण्डके विजने वने।
रावणेन हृता सीता स च विध्वंसितो मया॥ ५॥
अनुवाद
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सौम्य लक्ष्मण! तुम्हें तो यह अच्छी तरह से पता है कि कैसे रावण ने निर्जन दण्डकारण्य से सीता का हरण किया था और मैंने उसका विनाश भी किया था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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