भवन्त: कृतशास्त्रार्था बुद्ध्या च परिनिष्ठिता:।
सम्भूय च मदर्थोऽयमन्वेष्टव्यो नरेश्वरा:॥ २०॥
अनुवाद
राजन्! आप सभी शास्त्रों के ज्ञाता हो। शास्त्रों में बताए गए कर्तव्यों का भी पालन करते हो। आपकी बुद्धि भी परिपक्व है। इस समय मैं जो कार्य आपके सामने प्रस्तुत करने वाला हूँ, उसको आप सभी मिलकर सम्पादित करो।