श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 44: श्रीराम के बुलाने से सब भाइयों का उनके पास आना  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  7.44.17 
 
 
ततोऽभिवाद्य त्वरिता: पादौ रामस्य मूर्धभि:।
तस्थु: समाहिता: सर्वे रामस्त्वश्रूण्यवर्तयत्॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  तदनन्तर वे तीनों भाई तुरंत श्रीराम के चरणों में अपना मस्तक रखकर प्रणाम करते हैं। फिर वे सभी प्रेम में समाधिस्थ होकर पड़ जाते हैं। उस समय श्रीराम आँसू बहा रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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