श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 43: भद्र का पुरवासियों के मुख से सीता के विषयमें सुनी हुई अशुभ चर्चा से श्रीराम को अवगत कराना  »  श्लोक 9-10
 
 
श्लोक  7.43.9-10 
 
 
एवमुक्तस्तु भद्रेण राघवो वाक्यमब्रवीत्।
कथयस्व यथातत्त्वं सर्वं निरवशेषत:॥ ९॥
शुभाशुभानि वाक्यानि कान्याहु: पुरवासिन:।
श्रुत्वेदानीं शुभं कुर्यां न कुर्यामशुभानि च॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  भद्रके ऐसा कहनेपर श्रीरघुनाथजीने कहा—‘पुरवासी मेरे विषयमें कौन-कौन-सी शुभ या अशुभ बातें कहते हैं, उन सबको यथार्थरूपसे पूर्णत: बताओ। इस समय उनकी शुभ बातें सुनकर जिन्हें वे शुभ मानते हैं उनका मैं आचरण करूँगा और अशुभ बातें सुनकर जिन्हें वे अशुभ समझते हैं, उन कृत्योंको त्याग दूँगा॥ ९-१०॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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