भद्रके ऐसा कहनेपर श्रीरघुनाथजीने कहा—‘पुरवासी मेरे विषयमें कौन-कौन-सी शुभ या अशुभ बातें कहते हैं, उन सबको यथार्थरूपसे पूर्णत: बताओ। इस समय उनकी शुभ बातें सुनकर जिन्हें वे शुभ मानते हैं उनका मैं आचरण करूँगा और अशुभ बातें सुनकर जिन्हें वे अशुभ समझते हैं, उन कृत्योंको त्याग दूँगा॥ ९-१०॥