श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 42: अशोकवनिका में श्रीराम और सीता का विहार, गर्भिणी सीता का तपोवन देखने की इच्छा प्रकट करना और श्रीराम का इसके लिये स्वीकृति देना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  7.42.9 
 
 
शातकुम्भनिभा: केचित् केचिदग्निशिखोपमा:।
नीलाञ्जननिभाश्चान्ये भान्ति तत्र स्म पादपा:॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  वृक्ष कुछ शंख के समान सुनहरे पीले रंग के थे, कुछ अग्नि की लपट की तरह चमकदार थे और कुछ नीले काजल के समान काले थे। स्वयं सुशोभित होकर ये वृक्ष उस उपवन की शोभा बढ़ाते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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