श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 42: अशोकवनिका में श्रीराम और सीता का विहार, गर्भिणी सीता का तपोवन देखने की इच्छा प्रकट करना और श्रीराम का इसके लिये स्वीकृति देना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  7.42.8 
 
 
कोकिलैर्भृङ्गराजैश्च नानावर्णैश्च पक्षिभि:।
शोभितां शतशश्चित्रां चूतवृक्षावतंसकै:॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  कोकिल, भृंगराज और अन्य रंग-बिरंगे सैकड़ों पक्षियों ने आम के पेड़ की डालियों पर बैठकर बगीचे की शोभा बढ़ा दी थी। उनकी चहचहाहट से वातावरण मधुर हो रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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