वहाँ अनेक ऐसे घर बने थे जिनके अंदर बैठने के लिए कालीन बिछे बहुत सारे आसन सजाए गए थे। वह वाटिका कई लता मंडपों से सुशोभित दिखाई दे रही थी। उस समृद्धिशाली अशोक वाटिका में प्रवेश करके रघुकुल नंदन श्रीराम ने एक सुंदर आसन पर बैठे। वह आसन फूलों से सजाया हुआ था और उस पर कालीन बिछा हुआ था।