श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 41: कुबेर के भेजे हुए पुष्पकविमान का आना और श्रीराम से पूजित एवं अनुगृहीत होकर अदृश्य हो जाना, भरत के द्वारा श्रीरामराज्य के विलक्षण प्रभाव का वर्णन  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  7.41.6 
 
 
ममापि परमा प्रीतिर्हते तस्मिन् दुरात्मनि।
रावणे सगणे चैव सपुत्रे सहबान्धवे॥ ६॥
 
 
अनुवाद
 
  जहाँ तक रावण के मरने से मुझे प्रसन्नता हुई है, वहाँ तक मेरे सगे-सबन्धियों को भी बड़ी प्रसन्नता हुई है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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