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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 41: कुबेर के भेजे हुए पुष्पकविमान का आना और श्रीराम से पूजित एवं अनुगृहीत होकर अदृश्य हो जाना, भरत के द्वारा श्रीरामराज्य के विलक्षण प्रभाव का वर्णन
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श्लोक 13
श्लोक
7.41.13
लाजैश्चैव तथा पुष्पैर्धूपैश्चैव सुगन्धिभि:।
पूजयित्वा महाबाहू राघव: पुष्पकं तदा॥ १३॥
अनुवाद
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ऐसे कहते हुए महाबाहु श्रीराम ने लावा, पुष्प, धूप और चंदन आदि सुगन्धित वस्तुओं से पुष्पक विमान की पूजा की।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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