सर्वे च ते बाष्पकला: साश्रुनेत्रा विचेतस:।
सम्मूढा इव दु:खेन त्यजन्तो राघवं तदा॥ २९॥
अनुवाद
राघव श्रीराम को छोड़कर जाते समय वे सभी दुःख के मारे किंकर्तव्यविमूढ़ और बेहोशी की हालत में पहुँच गए थे। किसी के मुँह से आवाज़ नहीं निकल रही थी और सभी की आँखों से आँसू बह रहे थे।