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श्लोक 27
श्लोक
7.40.27
श्रुत्वा तु राघवस्यैतदुत्थायोत्थाय वानरा:।
प्रणम्य शिरसा पादौ निर्जग्मुस्ते महाबला:॥ २७॥
अनुवाद
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राघवजी के विदाई के शब्दों को सुनकर वे महाबली वानर एक-एक करके उठे और उनके चरणों में सिर झुकाकर प्रणाम करके वहाँ से चल पड़े।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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