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श्लोक 16
श्लोक
7.40.16
स्नेहो मे परमो राजंस्त्वयि तिष्ठतु नित्यदा।
भक्तिश्च नियता वीर भावो नान्यत्र गच्छतु॥ १६॥
अनुवाद
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महाराज! आपके प्रति मेरा अनंत स्नेह हमेशा बना रहे। वीर! आपमें ही मेरी अटूट भक्ति बनी रहे। आपके अलावा कहीं और मेरा हार्दिक प्रेम न हो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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