श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 40: वानरों, रीछों और राक्षसों की बिदार्इ  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  7.40.14 
 
 
तव बुद्धिर्महाबाहो वीर्यमद्भुतमेव च।
माधुर्यं परमं राम स्वयम्भोरिव नित्यदा॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  उन्होंने कहा - "महाबाहु श्रीराम! आपका स्वभाव स्वयंभू ब्रह्माजी के समान सदैव परम मधुर रहता है। आपकी बुद्धि और पराक्रम अद्भुत हैं।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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