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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 38: श्रीराम के द्वारा राजा जनक, युधाजित्, प्रतर्दन तथा अन्य नरेशों की विदार्इ
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श्लोक 8
श्लोक
7.38.8
एवमुक्त्वा तु काकुत्स्थं जनको हृष्टमानस:।
प्रययौ मिथिलां श्रीमांस्तमनुज्ञाय राघवम्॥ ८॥
अनुवाद
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श्री रामचंद्रजी से यह कहकर राजा जनक हर्षित मन से श्री राम की अनुमति लेकर मिथिलापुरी को चल दिए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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