श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 37: श्रीराम का सभासदों के साथ राजसभा में बैठना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  7.37.8 
 
 
यथा त्वमसि दुर्धर्षो धर्मनित्य: प्रजाहित:।
न त्वां जहाति कीर्तिश्च लक्ष्मीश्च पुरुषर्षभ॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  पुरुषोत्तम! आप अत्यंत बलशाली हैं और सदैव धर्म का पालन करते हुए प्रजा के हित के लिए कार्य करते हैं। आपकी कीर्ति और लक्ष्मी आपके साथ सदा रहती हैं, इसलिए आपको परास्त करना असंभव है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.