श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 37: श्रीराम का सभासदों के साथ राजसभा में बैठना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  7.37.20 
 
 
विभीषणश्च रक्षोभिश्चतुर्भि: परिवारित:।
उपासते महात्मानं धनेशमिव गुह्यक:॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  विभीषण अपने चार राक्षस मंत्रियों के साथ महात्मा श्री राम के सम्मान में उपस्थित हुए, जिस प्रकार गुह्यकगण धनपति कुबेर की सेवा में रहते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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