वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 7: उत्तर काण्ड
»
सर्ग 37: श्रीराम का सभासदों के साथ राजसभा में बैठना
»
श्लोक 17
श्लोक
7.37.17
भरतो लक्ष्मणश्चात्र शत्रुघ्नश्च महायशा:।
उपासांचक्रिरे हृष्टा वेदास्त्रय इवाध्वरम्॥ १७॥
अनुवाद
play_arrowpause
महायशस्वी भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न – ये तीनों भाई उसी प्रकार हर्षपूर्वक प्रभु श्रीराम की सेवा में उपस्थित रहते थे, जैसे तीनों वेद यज्ञ में उपस्थित रहते हैं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.