श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 37: श्रीराम का सभासदों के साथ राजसभा में बैठना  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  7.37.17 
 
 
भरतो लक्ष्मणश्चात्र शत्रुघ्नश्च महायशा:।
उपासांचक्रिरे हृष्टा वेदास्त्रय इवाध्वरम्॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  महायशस्वी भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न – ये तीनों भाई उसी प्रकार हर्षपूर्वक प्रभु श्रीराम की सेवा में उपस्थित रहते थे, जैसे तीनों वेद यज्ञ में उपस्थित रहते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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